गोंदिया :
Birsi-Gondia Airport : तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में निर्मित बिरसी विमानतल से लंबी प्रतिज्ञा की बात अर्थात 13 मार्च को उड़ान सेवा प्रारंभ हो गई और गोंदिया से हैदराबाद के लिए प्रथम उड़ान संचालित हुई.
इस बिरसी विमानतल पर यात्री विमान सेवा की शुरुआत गोंदिया में करने के बजाय केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरावदीतय सिंधिया ने इंदौर में हरी झंडी दिखाकर की. इसके बाद इंदौर, गोंदिया और हैदराबाद के लिए नियमित यात्रा शुरू हो गई. बिरसी विमानतल का नामांकन करने के लिए सामाजिक संगठनों व समाजो में एक तरह की स्पर्धा देखी जा रही है. क्षत्रिय पवार समाज संगठन जिलाधीश को ज्ञापन देकर बिरसी विमानतल को राजा विक्रमादित्य या चक्रवर्ती सम्राट राजा नाम देने की मांग की है. प्रतिनिधि मंडल में रेखलाल टेंभरे,जिप सदस्य संजय टैमरे, उमेंद्र कटरे, उमेद्र ठाकुर, आनंद पटले, राजेंद्र बिसेन,विजय कटरे, विनोद ठाकुर, विष्णु चौधरी, दिलीप चौहान, सि. टी. चौधरी, वेंकट बिसेन,वेदकुमार बघेले, देवेंद्र कटरे, विजय बिसेन,व योगेंश रहांगडाले आदि शामिल थे.
Birsi-Gondia Airport : बिरसी विमानतल ही नाम हो लाखो लोगो की मांग
आजकल प्रतीक व चिन्हों का प्रचलन बढ़ गया है. जिसे लोगों की भावना प्रकट होती है. लेकिन जिले में विमानतल शुरू होते ही उसके नामकरण को लेकर एक होड़ सी लग गई है. लेकिन दूसरी ओर कुछ प्रगतिशील विचारधारा वाले लोग यह चाहते हैं बिरसी विमानतल ही रखा जाए ताकि भविष्य में इसके विस्तार व अन्य राज्यो में यात्री विमान सेवा कनेक्ट होने पर से गोंदिया विमानतल के रूप में पहचाना जाए.
गोंडवाना विमानतल का नाम दे
कवयित्री व लेखिका उषा किरण आत्राम ने बताया कि अतिप्राचीन काल से क्षेत्र में गोडों की अधिसत्ता थी. कचारगढ़ प्राचीन काल से संपूर्ण जंगल व्याप्त परिसर में गोंड समुदाय रहा है. उन्होंने ही जंगल, जल, जमीन का संरक्षण किया है. उन्होंने गांव बनाया, गोंडी भाषा में गांव, नदी, नाले, पाहड़ सभी को गोंड नाम दिए हैं. गोंडीनगर गोंडया यह गोंदिया के पुराने नाम बदलकर गोंदिया किया गया है . अब बिरसी विमानतल की बारी है उसे गोडवाना विमानतल यह नाम दिया जाए. ऐसी मांग ऊषा किरण आत्राम सहित विभिन्न आदिवासी संगठनों ने की है.