महायुति समाचार: आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का बंटवारा अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री ने दो दिवसीय दौरे के दौरान सहयोगियों के साथ महागठबंधन के सीट बंटवारे पर चर्चा की। बुधवार रात तक चली बैठक में यह तय हुआ कि बीजेपी 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।
अमित शाह ने सुझाया फॉर्मूला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महागठबंधन के घटक दलों के नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि बीजेपी को 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। बाकी सीटें शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी के अजीत पवार गुट के लिए निर्धारित की जाएंगी।शाह ने बुधवार रात को छत्रपति संभाजीनगर में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ लंबी चर्चा की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बीजेपी 155 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि शिंदे गुट और अजीत पवार गुट को 133 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कहा जाएगा। वर्तमान में, शिंदे और पवार गुट के पास कुल 94 विधायक हैं। अब सवाल यह है कि बाकी 39 सीटों का बंटवारा कैसे किया जाएगा।
बीजेपी 150 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ेगी
आगामी चुनावों में बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। इसके अलावा, शिंदे और अजित पवार फड़णवीस को साथ लेकर बाकी सीटों के बंटवारे पर चर्चा करना चाहते हैं। बैठक में यह भी तय नहीं हुआ है कि अन्य प्रमुख दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। संभावित निर्वाचन क्षेत्रों का चयन करते समय उम्मीदवार की निर्वाचनीयता की जांच की जा रही है।
39 सीटों का बंटवारा कैसे होगा
बीजेपी 155 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि एकनाथ शिंदे(Eknath Shinde) और अजित पवार के गुटों के पास 133 सीटें होंगी। बीजेपी यदि 155 से कम सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो मित्रा को उतनी ही अधिक सीटें मिलेंगी।शिंदे गुट में कुल 50 विधायक हैं, जिनमें 40 अपने और 10 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। वहीं, अजित पवार के गुट में 41 विधायक हैं, साथ ही कांग्रेस के तीन विधायक भी हैं, जिससे उनकी कुल संख्या 44 हो जाती है। इस प्रकार, शिंदे और पवार गुट की संयुक्त संख्या 94 है।अब बची हुई 39 सीटों का बंटवारा शिंदे गुट और अजित पवार गुट के बीच किया जाएगा। महागठबंधन में सीट बंटवारे का अंतिम फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है, इसलिए सभी की नजरें इस अंतिम समझौते पर हैं।