बालू की कमी और घरकुल निर्माण पर प्रभाव
जिले में पिछले वर्ष 25 सरकारी बालू डिपो को पर्यावरण विभाग से अनुमति मिली थी, जिनमें से 19 चालू हुए। वर्तमान में, केवल 11 डिपो कार्यरत हैं, जबकि 8 बंद हैं, जिससे अवैध बालू कारोबार ठप हो गया है। बालू की कमी के कारण झोपड़ियों का निर्माण प्रभावित हो गया है। लाभार्थियों के पास रेत का स्टॉक न होने से निर्माण कार्य रुका पड़ा है, और यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजस्व एवं जिला खनन विभाग इस ओर ध्यान देगा।
घरकुल लाभार्थियों को मिलने वाली सस्ती रेत महंगी हो गई है और उपलब्ध नहीं है। सरकारी बालू डिपो अधिक स्टॉक होने का दिखावा कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में, लाभार्थियों को रेत नहीं मिल रही है। इस अभाव में कई घरों का निर्माण ठप हो गया है, और लाभार्थी पूछ रहे हैं कि वे अपना निर्माण कैसे पूरा करें।
जिले में मानसून से पहले 19 सरकारी बालू डिपो चालू थे, लेकिन बाढ़ और अन्य कारणों से 8 डिपो बंद कर दिए गए हैं। बंद किए गए डिपो में चारगांव, निलज भुज, कन्हलगांव, मुंढारी भुज, गुडेगांव, बेलगांव, कोथुरना और मोहराना शामिल हैं। मोहाडी तालुका में स्थिति और भी गंभीर है; यहां के कई डिपो बंद हैं, जिससे निर्माण कार्य रुक गया है।
हालांकि, प्रशासन ने कहा है कि प्रत्येक सरकारी बालू डिपो पर 15 प्रतिशत स्टॉक घरकुल लाभार्थियों के लिए आरक्षित है, लेकिन वास्तविकता यह है कि लाभार्थियों को रेत उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। वर्तमान में जिले में 19 सरकारी डिपो में से 11 चालू हैं, जैसे लोवी, सोंड्या, मांडवी, अष्टी, मोहगांव देवी आदि। हालांकि, नदी में पानी के कारण रेत का उठाव नहीं हो पा रहा है।
घरकुल लाभार्थियों की आशा है कि बंद डिपो को शीघ्र चालू किया जाए, ताकि उनका निर्माण समय पर पूरा हो सके।