यदि इसे नहीं रोका गया तो देश पर आएगा भयंकर संकट
Rupee continues to fall : डॉलर के मुकाबले रुपया और कितना गिरेगा ?अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद से दुनिया भर में कई समीकरण बदल गए हैं। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर विशेष रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। डॉलर के मजबूत होने से रुपया निचले स्तर पर पहुंच गया है। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन भारतीय मुद्रा रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 44 पैसे गिर गया। इस गिरावट के बाद रुपया निम्नतम स्तर पर पहुंचने का अप्रिय रिकॉर्ड बना चुका है। भारतीय मुद्रा का मूल्य डॉलर के मुकाबले 87.94 Rupee continues to fall तक गिर गया। रुपये के अवमूल्यन के कई कारण हैं। हालांकि, यदि भारतीय मुद्रा को प्रबंधित करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह एक बड़ा संकट बन सकता है। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा।
रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर
पिछले दो-तीन महीनों से रुपये में गिरावट का रुख है। इस महीने की शुरुआत में 3 फरवरी को रुपया पहली बार 87 के स्तर को पार कर गया था। लेकिन, इसके बाद भी रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 87.94 प्रति डॉलर तक गिर गया, जो रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है। अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि यदि रुपये में गिरावट जारी रही तो यह जल्द ही 100 का आंकड़ा पार कर सकता है।
भारतीय मुद्रा रुपया लगातार क्यों गिर रहा है ?
भारतीय रुपए के अवमूल्यन के पीछे कई कारण हैं। इसका मुख्य कारण डोनाल्ड ट्रम्प का आयात शुल्क लगाने का निर्णय है। वास्तव में, शुरू में यह सोचा गया था कि ये आयात शुल्क केवल चीन, कनाडा और मैक्सिको पर ही लगाए जाएंगे। हालाँकि, पिछले सप्ताहांत उन्होंने शुल्क से संबंधित एक और बड़ी घोषणा की। राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिका में सभी प्रकार के इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह नई टैरिफ नीति इसी सप्ताह के प्रारम्भ में आ सकती है। ट्रम्प के बयान से कई देशों में चिंता पैदा हो गई है। टैरिफ युद्ध के बढ़ने से वैश्विक मुद्रा बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है और इसका प्रभाव और दबाव भारतीय रुपए पर भी महसूस किया गया है।
धातु शेयरों में गिरावट
डोनाल्ड ट्रंप की नई आयात शुल्क नीति के कारण आज भारतीय शेयर बाजार में मेटल शेयरों में गिरावट देखी गई। टाटा स्टील, पावर ग्रिड, एनटीपीसी और एचडीएफसी सबसे ज्यादा नुकसान में हैं। सेंसेक्स में शामिल 30 में से 25 शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। मेटल स्टॉक बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। मेटल के बाद फार्मा शेयरों में भी गिरावट आ रही है।
रुपया कमजोर होने मुख्य कारण
सरकारी नीतियाँ और विदेशी मुद्रा भंडार (Government Policies & Forex Reserves)
यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का उपयोग रुपये को स्थिर रखने के लिए नहीं करता, तो रुपये में गिरावट अधिक हो सकती है। सरकार की आर्थिक नीतियाँ, जैसे कि कर सुधार, व्यापार नीतियाँ, और विदेशी निवेशकों के लिए नियम, भी रुपये को प्रभावित करते हैं।
विदेशी निवेश और पूंजी प्रवाह (Foreign Investment and Capital Flow)
जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर अपने देश वापस भेजते हैं, तो डॉलर की मांग बढ़ जाती है और रुपया गिर जाता है। FDI (Foreign Direct Investment) और FII (Foreign Institutional Investors) जब कम होते हैं, तो भारत में डॉलर का प्रवाह घट जाता है और रुपये का अवमूल्यन होता है।
महंगाई दर (Inflation Rate)
यदि भारत में महंगाई दर अधिक है, तो भारतीय मुद्रा का क्रय शक्ति (Purchasing Power) कम हो जाता है। उच्च महंगाई का मतलब है कि एक ही चीज़ खरीदने के लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे रुपये की वैल्यू घटती है। विकसित देशों की तुलना में अधिक महंगाई होने पर भारतीय रुपया कमजोर हो जाता है।